भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माय / अशोक शुभदर्शी

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:05, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक शुभदर्शी |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बेटा ने
माय सें कहलकै
‘‘माय ! खाना बनाय देॅ
युद्ध में जाना छै’’
माय ने
तुरत
बेटा सें कहलकै-
‘‘बेटा ! युद्ध में जा
खाना खाय में
देर होय जैतों।’’