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समय / अशोक शुभदर्शी
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कतनां खराब समय छै ई
सब भुलाय गेलै
सबकुछ
अपनोॅ ही समय में
शब्द
लय
गति
ऊर्जा केॅ भी
आरो स्थिति ई छै कि
आय कोय नै छै मौजूद
याद दिलावै वाला।