भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमरोॅ स्मृति / अशोक शुभदर्शी

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:18, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक शुभदर्शी |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऊ दिन बहुते बुरा छेलै
हमरोॅ जीवन के
जबेॅ सूखी गेलोॅ छेलै
स्त्रोत ही
हमरोॅ आँसू के
सूखी गेलोॅ छेलै
हमरोॅ स्मृति

स्मृति केरोॅ अभाव
बदली दै छै जीवन केॅ
बालू में ।