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कोने तू कुल के थिकही गे बुढ़िया / अंगिका

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कोने तू कुल के थिकही गे बुढ़िया
किये थिकौ तोर नाम हे ।
जाति के जे थिकेयै रे रानू
ब्राह्मण के बेटिया रे
नाम थिकै कोसिका कुमारि हे
कौन तू कुल के थिकही रे रानू !
किये थिकौ तोर नाम हे
जाति के जे थिकियै गे बुढ़िया
कानू कन्हैया गे,
नाम थिकै रानू सरदार गे ।
सगरे समैया रे रानू कृपनर नहौले रे,
आज करू कोसी असनान हे ।
ककरा सौपवै गे बुढ़िया
अन्न धन सम्पत्ति गे
ककरा सौपवै बूढ़ी माय हे ।
ककरा सौपवै गे बुढ़िया
घर केर धरनी गे,
ककरा सौंपवै छोटी बहिन हे ।
करम सौपिहे रे रानू
अन्न धन सम्पत्ति,
धरम सौपिहे बूढ़ी माय हे
घर के जे धरनी रे रानू
नैहरा पठाविहे रे
ससुरा पठाविहे छोटी बहिन रे ।।
माय तोरा हटौ रे रानू
बहिन मरबोधौ रे
जनि जाहु कोसी असनान हे ।।
खाय लेहो आहे रानू,
घृत मधु भोजना हे
पीबि लेहु गंगाजल नीर हे ।
नहि खेबौ आहे अम्मा
घृत मधु भोजना हे
नाहि पिवौ गंगाजल नीर है ।
कोसिका कुमारि हे अम्मा
डेढ़ियहि ठाड़ि हे
हमें जाय छी कोसी असनान हे ।।