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साथें चलना छै / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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चलोॅ, थोड़ोॅ दूर आरो चलना छै।
मानै छियै, दुख सें तोहें बहुत दुखी छोॅ
बितलै बरस हजार, भुखलोॅ ही अब तांय छोॅ
नै निराश तोंय हुओॅ बंधु
कदम-कदम मिली आगू बढ़ना छै
चलोॅ, थोड़ोॅ दूर आरो चलना छै।

जेकरा आपनोॅ जानी केॅ अपनैलियै
बनी पराया वहीं ठगलकै,
शासन जन शोशण के डोरी सें बंधलोॅ
भाशण आरो नारा के देश बनैलकै
आवोॅ, एकरोॅ पंख कुतरना छै
चलोॅ, थोड़ोॅ दूर आरो चलना छै।

मनोॅ केॅ नै करोॅ निराश,
संघर्श करोॅ पूरबेॅ करतै आस,
तोड़ोॅ बंधन , तोड़ोॅ कारा
मनोॅ में भरी केॅ विश्वास।
छोड़ी अन्हार केॅ प्रकाश भरना छै,
चलोॅ, थोड़ोॅ दूर आरो चलना छै।

संशय-कायरता के भाशा छोड़ोॅ
टूटलोॅ मन के तारोॅ केॅ जोड़ोॅ,
खल-खल करी केॅ जे बढ़तें रहलोॅ छै
ऊ बेगवान धारा केॅ मोड़ोॅ।
आवोॅ अंगद पाँव धरना छै
चलोॅ, साथ मिली केॅ चलना छै।