भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रश्न 1 / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:53, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध प्रसाद विमल |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमरोॅ देहोॅ में
दाग छै
मनोॅ में मैल
यै लेली हम्में गंगा नहाय छी
लेकिन
आय चांद-
एक बात पूछौं
तोहें कैहने
आपनोॅ परछाई के बहाना
गंगा नहाबै छोॅ
की तहूं भी-
घूस लै केॅ
उपकार करै छोॅ
टट्टी के ओट में
शिकार करै छोॅ ?