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सच्चाई / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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हों, हमरोॅ मित्र
आबेॅ तोहें जे चाहोॅ से कहोॅ
कही ला
कि आसमान के ई चान
कŸोॅ अच्छा छै
कŸोॅ अच्छा छै ई तारा सीनी

पर हम्में, सभ्भे जानै छियै
जानै छियै
कि सच्चाई की छेकै
- एक दिन
जबेॅ हम्में खुब्बे भुखलोॅ
टूटी पड़लोॅ छेलियै
भोजनोॅ पर
बिना तोहरा सें
कुछ पूछलेॅ ही

ई बास्तें
कि हम्में जानै छेलियै
तोहें अभी अभी
खाना खैलोॅ छोॅ
तोहरा भूख
हुवेॅ नै पारेॅ
लेकिन हेकरा सें की ?
तोहरा अधिकार छौं
आदमी पर
आदमी के मेहनत पर
आरो ओकरोॅ अन्न पर
तबेॅ हम्में चैहलेॅ छेलियै
तोहरा सें
पूछलेॅ बिना ही
ओकरा निगली जाय लेॅ

तोहरोॅ अधिकार अस्तित्व केॅ
हम्में नकारी देलेॅ छेलियै

यै लेली
तोहें गुस्सा में आबी केॅ
थरिया समेत अन्न
उठाय केॅ
खूब ऊपर उछाली देलेॅ छेलौ
हमरोॅ भुखलोॅ आँखी के सामना

हम्में आभियो भी
भुखलोॅ आँखी सें
टुकटुक ताकै छी
ऊपर में
उलटलोॅ होलोॅ थाली
आरो बिखरलोॅ होलोॅ अन्न

तोंहे जेकरा
सुन्नर चान
आरो सुन्नर तारा कहै छोॅ ।