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बहिन के विदाय / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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आबी गेलै पालकी, बहिन आबेॅ जइती,
भैया के आँखी में लोर !
गमछी के कोना, लोरोॅ सें भिजलै
सन्नो, मन्नो, मंजु, अंजु सभ्भे कानेॅ लागलै,
बाबुओ के सुखलोॅ छै ठोॅर !
पानी लै केॅ दादी, पीछू में छै खाड़ी,
पालकी में शोभै छै लाल रंग साड़ी,
आँखी पेॅ चलै नै कोनो जोर !
कपसी-कपसी कानै मैयो आरो सखियो,
छोटकी बहिन छोड़ै नै छै आँचर डोलियो,
नेहोॅ सें फाटै छै पोर-पोर !