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एक ख़बर / लीलाधर जगूड़ी

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अकसर

आतंकवादी सड़कों के किनारे गन्ने के खेतों में छिप जाते हैं

इसलिए गन्ना जलवाया जा रहा है


रामदीन कुछ गहरे डूबकर बोला--

गन्ना महंगा गुड़ बन जाए, मंहगी चीनी बन जाए

गन्ने को कीड़ा लग जाए

इसी तरह का रोग है कि गन्ने में आतंकवादी छिप जाए


सुलहदीन बोला--

अचरज नहीं कि पीपल वाले भूत से ज़्यादा

गन्ने से डर लग जाए


मातादीन बोला--गन्ने से उगता है उद्यम

और हर उद्यम में जा छिपता है आतंकवादी


रामदीन भी पलट कर बोला--

पर अगर आलू के बराबर हो गए आतंकी

गोली-बारूद आलुओं में से चलने लगे

मान लीजिए वे अरहर में छिप जाएँ

धान में छिप जाएँ

सारे अन्न-क्षेत्र में आतंकी ही आतंकी हों

वे अड़ जाएँ और इतने बढ जाएँ

कि साग भाजियों में भी कीड़ों की तरह पड़ जाएँ

तब भाई मातादीन हम अपना क्या-क्या जलाएंगे ?