भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ओऴयूं रा रूंखड़ा / आशा पांडे ओझा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:15, 25 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आशा पांडे ओझा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
नीं कटे, नीं बलै
नीं कदैइ ठूंठ बणे
ओऴयूं रा रूंखड़ा
जून रे तावड़ा सीरखो
यो तपतो जूण
बैठाय लेवे ठाडी छाँव
पकड़ म्हारी बाँव
ओऴयूं रा रूंखड़ा
नीं चावे म्हारे मेल माळिया
म्हारी ठौर म्हारा ठांव
ओऴयूं रा रूंखड़ा
जे गम जाऊं म्हे
अर थें चावो सोधणा
आजाइजो
म्हारी गळि म्हारो गाँव
ओऴयूं रा रूंखड़ा