भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-18 / दिनेश बाबा

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:20, 25 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश बाबा |अनुवादक= |संग्रह=दोहा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

137
माता नाखी आत्मबल, दै भाषा संदेश
जे सेवा में रत छिकै ‘बाबा’ तपन दिनेश

138
माय-बाप रं ही करो, भाषा के सम्मान
जें समाज केॅ दै सकेॅ एक लया पहचान

139
माय-बाप रं माननीय, भाषा के मर्याद
बोलो, बतियाबो, करो यै में सब संवाद

140
तिलक, पटेल आ नेहरु, रं नेता नै आज
जकरा पर सब्भे करै, ‘बाबा’ आजो नाज

141
जाड़ा में बरखा नहीं, लगै कुहासो ठीक
मोॅन उड़ै छै गगन में, जेना इस्पुतनीक

142
पोखर, नदी, पहाड़ पर जबेॅ कुहासो छाय
दू डेगो पर आदमी, भी नैं झलकै भाय

143
पहिलो दाफी कोहरा, के झलकै हय रूप
सूरज उगलो छै मतर नैं लौकै छै धूप

144
हर उत्सव के वासतें, चंदा चिट्ठा रोज
जें नै दै छै वें सहै, गाली आरू गलौज