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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-21 / दिनेश बाबा

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161
दुर्गत छिकै समाज के, गुनै समाजी लोग
बालक दुसरा वर्ग के, करै जहाँ संभोग

162
बाल मनोवैज्ञानिकें, की करतै उपचार
आठ-सात के शिशु अगर, करै यौन व्यवहार

163
चिन्ता के ई विषय छै, सोचै के छै बात
औल-बौल मानस करै, लगलो छै आघात

164
दुनियाँभर के लोग सब, सुनी हुवै हैरान
इज्जत आबेॅ कना केॅ, बचतै हो भगमान

165
अब लागै छै सचमुचे, मादा छै कमजोर
नै ते ‘बाबा’ चलतिहै, कना मर्द के जोर

166
जोर जबरिया के बदल, कुछ तेॅ हुवै उपाय
ताकी नारी आय सें, अबला नै कहलाय

167
चंडी, काली रं बनो, दुर्गा के अवतार
पापी पर करूणा नहीं, करो पलट तों वार

168
भीड़ों से भरलो शहर, रहै सुबह सें शाम
रिक्शा, टेम्पो, ट्रैक्टरें, करै छै रास्ता जाम