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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-35 / दिनेश बाबा

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273
कहर सुनामी लहर नें, लै के गेलै भेंट
जान-माल आ देश के होलै मटिया मेट

274
बिन टिटकारी नैं कभी, बैलां घीचै होॅर
‘बाबा’ अनुशासन बिना कहाँ चलै छै घोॅर

275
संविधान बदली दहू, छै जकरा में खोंट
वोट, नोट हावी जहाँ, आ जनता पर चोट

276
बिना वस्त्रा के कामिनी, जब भी आबै पास
नैं छूवेॅ पारै तहीं, ऐना रहै उदास

277
दर्पण के सम्मुख खड़ी, सुन्दरि लखै शरीर
पिया परस के वासतें, रहि रहि हुवै अधीर

278
आत्ममुग्ध रं सुन्दरी, आ गहना सौगात
ऐना में प्रतिविम्ब सें, करै पिया के बात

279
प्रतिबिम्बें मोहित करै, सुंदर लागै गातर
प्रीतम के संगत बिना, नागिन लागै रात

280
खंडित भेलै आसथा, आहत भेलै प्रान
महँगो भेलै न्याय लेॅ, एक संत रो जान