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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-48 / दिनेश बाबा

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377
कमर कसी पत्नी कहै, लै हाथो में हाथ
स्वामी सुख-दुख काटबै, दोनों साथे-साथ

378
कदम-कदम साथें चलै, जौं नर-नारी संग
लहरावै सब दिन खुशी, हालत हुवै न तंग

379
‘बाबा’ पुजलो जाय छै, जहाँ गाछ आ वृक्ष
आर्स वचन हय मानियै, नै होतै दुर्भिक्ष

380
पर्यावरनो के छिकै, हय शाश्वत सिद्धान्त
बन, पहाड़, जल, वनस्पति रखै अनिष्टो सान्त

381
नित करियै आराधना, बनै बिगड़लो काम
सक्तिवर्द्धक दवा छिकै, ‘बाबा’ भगवत नाम

382
‘बाबा’ मुश्किल सें मिलै, छै जिनगी में मित्रा
चित्राकार के श्रेष्ठतम, हुवै एकाथे चित्रा

383
चाहे डमखोलो हुवै, आ टटिया के घोॅर
कचकच सें नीको छिकै, रहबो गाछी तोॅर

384
भोगी रमलो भोग मंे, योगी के छै योग
भोगोॅ में छै दुःखै-दुःख, योगंे रखै निरोग