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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-64 / दिनेश बाबा
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505
नारी नें भी हिन्द के, रखलेॅ छै पहचान
विश्व सुंदरी रूप में, अथवा गगन उड़ान
506
एक सानिया मिर्जा या, अंजू बाॅबी जार्ज
खेलो सें करकै जिनी, युवा बैटरी चार्च
507
गहना कीनै के घड़ी, ‘बाबा’ परखै खाद
वैवाहिक सम्बन्ध में, दैखे छै जैदाद
508
एक जरूरी चीज छै, नाटक में संवाद
भोजन में छै वहीना, नीमक केरो स्वाद
509
बिजनस में सबसे बड़ो, छै क्रेडिट आ साख
क्रेडिट पर बट्टा करै, ‘बाबा’ सबकुछ राख
510
चूड़ी केरो भी खनक, आ पायल के बोल
कंत प्रेम के भेद रो, खोली दै छै पोल
511
नै शुक्ला अभिसारिका, नै कृष्णा अभिसार
ई सब अब साहित्य में, भेॅ गेलै बेकार
512
चोरी चुपके संे मिलन, के नै रहलै दौर
स्वाद प्रेम के चिखै छै, बदली बदली कौर