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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-69 / दिनेश बाबा
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उमरो पर तेॅ ऐसहूँ, सबके चमकै गाल
नेता मुख लाली बढ़ै, जब आबै छै माल
546
प्रेम कथा में रस मिलै, हुवै सुनी मुख लाल
‘बाबा’ निश्चय जानियै, छिकै सोलवां साल
547
बेसी पकलो सें बलुक, नीको डम्हक आम
रस बेसी दै पुलपुले, स्वाद मतर बेकाम
548
लोक लुभावन बजट के, नेतां करै प्रचार
जनता लेॅ बोझा छिकै, महँगाई के भार
549
जाति-धर्म के जीत नैं, जीतै छै हथियार
संवैधानिक दोष छै, या दोषी सरकार
550
बाहुबली हावी छिकै, करै सुनिश्चित जीत
छै तटस्थ सज्जन यहाँ, आम लोग भयभीत
551
गोली आ बंदूक सें, डरलो लगै पुलीस
कानूनें भी की करै, झाड़े अपनो खीस
552
की लड़तै जे डरै छै, करतै स्वयं बचाव
आम्र्स बचैबो ध्येय छै, भले खाय छै घाव