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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-71 / दिनेश बाबा
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अपराधी लागै जना, माथा केरोॅ घाव
जेकरो बल पर प्रतिनिधि, जीतै सदा चुनाव
562
‘बाबा’ कत्तो न्याय के करी लियै गुनगान
संसोधन करतें रहो, मिलै न जब तक त्रान
563
न्याय में कुछ तेॅ झोल छै, कुछ बिन्दू कमजोर
पैसा के बलपर तहीं, छूटै खूनी, चोर
564
बचलो छेलै ग्राह सें, कभी एक गजराज
हे नारायन कुछ करो, त्राहि-मचल छै आज
565
लूट-खसोटो के इधर मचलो छै संग्राम
उधर सुनामी लहर भी, मचबै छै कुहराम
566
एक सुनामी लहर ई, दुसरो लहर चुनाव
दिन-दिन बढ़लो छै तहीं, सब चीजो के भाव
567
मोछो के पहिलो रकम, नै रहलै सम्मान
बिनमुच्छा मालिक छिकै, मोंछ वला दरबान
568
मोंछ करै दाढ़ी वला, व्यर्थ धरैलो जाय
करनी बड़का लोग के, सजा गरीबें पाय