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प्यार सेॅ जिन्दगी मुस्कुराबै सखी / कैलाश झा ‘किंकर’

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प्यार सेॅ जिन्दगी मुस्कुराबै सखी ।
प्रेम तेॅ हर कली केॅ खिलाबै सखी ।।

ई सही छै कि दुश्मन बहुत इश्क केॅ,
लोग सब्भे इहेॅ तेॅ बताबै सखी ।

लाख काँटोॅ बिछल राह मेॅ छै मगर,
यें जुवां नै मुहब्बत भुलाबै सखी ।

एक उल्फत बिना व्यर्थ के जिन्दगी,
माशुका बिन न कुच्छू सुहाबै सखी ।

नेह जीवन सेॅ जुड़लोॅ जरूरी ग़ज़ल,
गीत, चकबा-चकोरी सुनाबै सखी ।