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मुकरी-2 / कैलाश झा ‘किंकर’

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हहराबै छै, घहराबै छै
झंडा नभ मेॅ फहराबै छै
दुश्मन भागै जेना-तेना
की सखि नेता ?
ने सखि सेना।

हर झंझट केॅ मूल नसाबै
दिग्गज केॅ भी धूल चटाबै
पहचानै छै जे नै खून
की सखि डॉक्टर ?
नै कानून।

देव-दनुज-मानव के लेली
युग-युग सेॅ जे बनल पहेली
उलझैने छै दुनिया दारी
की सखि कुर्सी ?
नै सखि नारी।
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मंजिल पर जे ध्यान लगैने
बढ़ै रोज बिन समय गँवैने
सहते आँधी और तबाही
की सखि पंछी ?
नै सखि राही।