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घाटों पर पत्थर मिलते / अमरेन्द्र
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घाटों पर पत्थर मिलते
काश यहाँ पर घर मिलते
मिलते न अब ऐसे दिल
जैसे ये अक्षर मिलते
उम्र-तुम्र की बातें क्या
तुम मुझसे पल भर मिलते
दो आलम का सुख मिलता
जब भी दो शायर मिलते
नदियाँ सागर से मिलतीं
कभी नहीं सागर मिलते
उम्र कटी इस आशा में
तुमसे हम जी भर मिलते
जैसे वह दिल खोल मिला
तुम भी अमरेन्दर मिलते ।