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जूण रा इग्यारा चितराम (5) / सुरेन्द्र सुन्दरम

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आपां
जकै ठाणां माथै
नीरता गा
बठै अब गोधा
चरण लागग्या
कसूर गायां रो
जाबक नीं है
आपां ई अब
गोधां सूं
डरण लागग्या।