भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जूण रा इग्यारा चितराम (5) / सुरेन्द्र सुन्दरम
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:42, 26 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र सुन्दरम |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आपां
जकै ठाणां माथै
नीरता गा
बठै अब गोधा
चरण लागग्या
कसूर गायां रो
जाबक नीं है
आपां ई अब
गोधां सूं
डरण लागग्या।