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काल-आज रौ सांच राखजै / अशोक जोशी 'क्रान्त'
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काल-आज रौ सांच राखजै
वाणी खीरै आंच राखजै।
कागद नवौ लिखण सूं पैला
जूना कागद बांच राखजै।
अेक न सातूं भव री लागै
सखरी इणभव जांच राखजै।
बचियोड़ा टाणां है कितरा
हाथ थोडक़ौ खांच राखजै।
मिनख मांयलै माणस सारू
पारस जैड़ो कांच राखजै।
कोरै भाटै कद पीसीजै
सिल्ला लोडी टांच राखजै।