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डर / हनुमान प्रसाद बिरकाळी
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पंखेरू
फडफ़ड़ाई पांख्यां
मींची आंख्यां
भजायो डर
जद ई आयो
आभै उडणों
जणांई तो
उडग्यो फुर्र।