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डांखळा 1 / विद्यासागर शर्मा
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(1)
मनोविज्ञान री क्लास मैं, पूछयो मास्टर भागै
बनवास सिर्फ राम नै होयो, सीता क्यूं गयी सागै
बोल्यो चेलो लहरी
मौको हो सुनहरी
बहू रो खटाणो दोरो हो, सास रै आगै।
(2)
सुनैरी लाल सोनी रैया करता फरीदकोट
आखै जीवन बेच्यो सोनो रळा-रळा'र खोट
गया जणा मर
द्वादसै ऊपर
गरुड़ पुराण पर चढाग्या लोग चूरण वाळा नोट।
(3)
छोरी रो ब्याव कर्यो मंगतराम 'मुनाफा'
कई साथी बांध'र आग्या जोधपुरी साफा
मंगत मळतो रैग्यो हाथ
किसमत कोनी दियो साथ
साफै हाळा नै पकड़ाग्या लोग बान रा लिफाफा।