भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मा / मोनिका शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:59, 27 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोनिका शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=था...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गणगौर का बिंदोरा में
म्हारे सागै नाचती-गांवती मा
छोरी सी बण ज्याती
मा अचाणचक ई
भूल जाती सारो
दुख-पीड़ अर घूंघट पल्लो
सिणगार कर्योड़ी
अर मनड़ै मैं उछाव भर्योड़ी
मा, लागती घणी सोवणी
सैका'ई मनड़ा नैं मोवणी
सांच्यांई, कदै-कदै तो लागै कै
माटी सूं सिरजेड़ी गणगौर
लुगायां का हिरदा रा बीच्याव नैं
जींवतो राख लेवैं
जिका नैं मार'र बा री
मनस्या मिनख रा मन में
बरसां सूं पळयोड़ी रैवै।