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आयकोॅ राजनीति / अवधेश कुमार जायसवाल

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लुकि छिपी के खेल
अभी के राजनीति छै,
बटमारोॅ के मेल
आयकोॅ राजनीति छै।
जेकरा छप्पन केस
वहेॅ छै बड़का नेता
जाति धरमोॅ के खेल
आय रोॅ जननीति छै।

खून-खून केॅ खेलै होली
बेटी पीन्है फाटलोॅ चोली
भरै छै बैमानोॅ के पेट
आबरु लुच्चा सब के भेट।

परती खेतवा, भुखलोॅ बेटवा
सूदखोर सब सेठ।
पानी पीबी के घरनी सूतै
बैमनमा सब आगिन मूतै,
पानी गेलै पताल
सखी हे, सपना भेलै दाल।

नेतवा सब केॅ लाजोॅ नै छै
वोटवा खातिर नोट छींटै छै
कहै छै अबकी होतै विकास
सखी हे टुटलै हमरोॅ आस।
सखी हे टुटलै हमरोॅ आस।
चोर उचक्का घर-घर घूमै
कहै छै छीनी लेबौ वोट
जो रे पपिहबा अबकी देखबौ
फाड़ी देबौ नोट

अब नै तोरोॅ पट्टी पढ़तौ
तोरोॅ मनसूबा फांसी चढ़तौ
जरतौ अरमानोॅ केॅ होली
कानोॅ में बतबा खोसी लेॅ
सखी हे ओकरा देलियै बोली।

अबकी हमरोॅ आंखमिचैली
सखी हे ओकरे जलतै होली।
सखी हे ओकरे जलतै होली।