भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धारा-लेखन / नलिन विलोचन शर्मा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:00, 10 जून 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नलिन विलोचन शर्मा }} सत्तावन की हवा-गाड़ी लक्ष्य तक पह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सत्तावन की हवा-गाड़ी

लक्ष्य तक पहुँच कर रह गई।

दो-चार वर्षों में

दो मुँह होंगे या दो पूँछ,

एक मुँह और एक पूँछ

नहीं होगी, जैसा आज भी

कुछ-कुछ रह गया है :

धारा रेखन ने मोटर को

यथार्थ हवा-गाड़ी बना दिया है :

हिन्दी का शब्द ज़्यादा ठीक है।