भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नेताजी री पीड़ / मधु आचार्य 'आशावादी'

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:30, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी' |संग्रह=अमर उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उण दिन नेताजी
जनता खातर उपवास राख्यो
धरणो लगायो
भासण दियो
अर जीवण-मरण री सौगन खाई
उणां खातर ही
आ तो रोज री हथाई।
उपवास खतम हुयो
तो पूगग्या खेत
मुरगो खायो
दारू रो भोग लगायो
अर चाळो रच्यो
गांव री कोई जमीन
नीं रैवै पराई।
अेक आखो गांव
नेताजी रै नांव
उपवास फेरूं करै
किसानां रै हितां खातर
उपवास अर हथाई
चालै आज तंाई
रोवै खाली
गांव रा लोग-लुगाई।