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तिरस / ओम पुरोहित ‘कागद’
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टिरै तिरस
पग पग
रीतै अंतस
नीं टिरै चितराम
थिर तिरस रा!
भोळावै
पीढी दर पीढी
जूण दर जूण
लागै दूभरिया
तिरस अनंत!