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तप / ओम पुरोहित ‘कागद’
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तप मांगै
भख
तन-मन रो!
तपै धोरी
अखूट तप
जपै पाणी
फगत पाणी
पाणी निराकार
पाणी साकार
बो पाळै
ध्यावना-चावना
पण
तिरस पड़तख!