Last modified on 28 जून 2017, at 16:29

आभो : सात / ओम पुरोहित ‘कागद’

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:29, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आभै में फिरै
गजबी बादळिया
गांणी-मांणीं
लियां पाणीं
बरसावै नीं पण छांट
ठाह नीं कांईं है आंट!
तिरसाया नीं मरै
जीव-जंत
आभै रै भरोसै
डरती-डरती
मुरधर धरती
आपरै अंतस
अंवेर लियो पाणीं
लारली बिरखा!