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जड़: अेक / ओम पुरोहित ‘कागद’
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जड़
ऊंड़ी बड़
आडी पड़ साम्भै
घेर-घुमेरदार रूंख नै!
जड़ रै ताण ई
रूंख करै बांथीड़ा
वायरै सूं अटल
ऊंचो उठ करै
हतायां आभै सूं!
रूंख नै साम्भै जड़
जड़ नै कुण साम्भै
पूछो हेत सूं
कदैई रेत सूं!