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म्हारो गांव : तीन / ओम पुरोहित ‘कागद’
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पाणीं पीयां नीं
पााणी देख-देख
होवै हर्या
जीव-जिनावर
माणस-रूंखड़ा
पान-फूस-घास
म्हारै गांव में!
बिरखा री आस
अटल पाळती
खेवै जड़ां पताळ
जूनी खेजड़ी
बोदी सीवण
उतरै धुर ऊंडी
ऊंडो जळ पीवण
म्हारै गांव में!