भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जिंदगाणी : अखबार / मधु आचार्य 'आशावादी'

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:58, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी' |संग्रह=अमर उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिनुगै -दिनुगै
भाई-भाई आपस मांय लड़िया
अेक-दूजै रा माथा फोड़या
दिन मांय
जमीन नै लैय‘र भायां मांय हुयी लड़ाई
अेक-दूजै माथै तलवार चलाई
सिंइया बेटै मा नै
घर सूं काढ दी
हाथ मांय सूं खोस लियो
रोटी रो टुकड़ो
दे दियो धक्को बारै
अर रात नै
निर्भया सागै हुयग्यो व्यभिचार
मिनखापणो हुयग्यो तार -तार
म्है देखतो रैयो सब
बण्योड़ो लाचार
साच है, आ जिंदगाणी
बणगी अेक अखबार।