भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिसवास / दीनदयाल शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:45, 29 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पिताजी
सूरज उगण सूं
पैलां ईं
घणी काड लेंवता
हळाई खेत में
आंधी सांश्‍ड सूं


पशुआं नै
कित्तौ हुवै बिसवास
आपरै मालक माथै

बै नीं द्यै औळमौ
नीं दीसण रौ

अर
बगै तापडिय़ां
राखै
काम सारू काम।