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संवेदनशील / दीनदयाल शर्मा

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आपां
संवेदनशील कम
अर स्वार्थी घणां दिसां

जदी
बडी-बडी दुर्घटना रा समचार
चा री चुसक्यां बिचाळै
पढता-पढता ई
पासै राखद्यां अखबार

अर कैह्वां
आज चा कित्ती स्वाद बणी है।