भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पौध / दीनदयाल शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:36, 29 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जीणौ-मरणौ
नेम है
प्रकृति रा
अर आणौ-जाणौ
रीत निभाणौ
नेम है समाज रा

आओ
आपां दु:ख-सुख
बांटा-बंटावां

अर आपरै भीतर
मिनखपणै री
पौध लगावां।