भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिंता / दुष्यन्त जोशी
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:15, 29 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दुष्यन्त जोशी |अनुवादक= |संग्रह=अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कुण गावै
ब्यांव रा गीत
मन री प्रीत
गीतेरण कुण जोवै
नीं कोई लोवै-तोवै
लोक संस्कृति री
कुण करै चिंत्या
सै' सूकरया है
आप-आपरी चिंत्या में
लोक संस्कृति री चिंत्या
किण नै खासी
आ
किण री पांती में आसी
ठाह कोनी।