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दिन / दुष्यन्त जोशी

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हमेस
अेक सा नीं रैवै दिन
मौसम भी कठै रैवै अेक सो

दुख में दुखी होण री
दरकार सूूं
दुख नीं हुवै दूर

दुख पछै सुख आसी
सुख री अडीक में
खुस रैणौ सीख

थूं
प्रकृति रौ जीव
मान प्रकृति नै।