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नियति नाम की यह बच्ची / वरयाम सिंह

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बहुत ज़िद्दी बच्ची है यह नियति

हम दोनों भी उसके हाथ में कैसे खिलौने!

न जाने किसने और किस मौके पर

भेंट किया हमें इस बच्ची को।


खिलौनों के भी तो रिश्ते होते हैं

खिलौने भी तो प्रेम करते हैं एक-दूसरे को

और इतना प्रेम करते हैं

कि बता नहीं पाते एक-दूसरे को

और इतना डरते हैं अपने प्रेम से

कहीं यह बच्ची तोड़ ही न दे उन्हें

खिलौने भी न रहने दे।


बच्ची तो बच्ची है

इच्छा होती है तो मिलने देती है दोनों को

नहीं तो पटक देती है इधर-उधर

खिलौने तो शिकायत नहीं कर सकते

एक-दूसरे से भी नहीं।