भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काण / ॠतुप्रिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:44, 8 जुलाई 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घर खेत
अर ढांढा नै
संभाळती लुगायां
चौबीसूं घंटा
रैवै ढाण

पण
छोटा-मोटा
घर रा सगळा
काढता रैवै काण।