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बसंत / ॠतुप्रिया
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बसंत
थूं आवै
तद
प्रकृति हाँसै-मुळकै
खिलै फूल
उडै तितल्यां
अर गीत गावै
भंवरा
बसंत
थूं आया कर
थारी अडीक रैवै म्हानै
थूं आवै
तद
म्हे भी हाँसां-मुळकां
खिलां फूल दांईं
उडां तितली दांईं
अर भंवरै दांईं
गुणगुणावां गीत।