भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इच्छ्या / ॠतुप्रिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:02, 8 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ॠतुप्रिया |अनुवादक= |संग्रह=सपनां...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हे मां सुरसत
ज्ञान दे
म्हूं रचूं सुरीलौ गीत

पणहारण नै
मिलै आपरै
मन रौ चायौ मीत

दु:ख-सुख में म्हूं
रैवूं अेकसी
चौखी रैवै नीत
गमीं में
नां हारूं खुद सूं
जग नै
म्हूं ल्यूं जीत।