भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रकृति : अेक / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:16, 8 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ॠतुप्रिया |अनुवादक= |संग्रह=सपनां...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
भांत-भंतीली
रंग-रंगीली
तितल्यां में
कुण भरै रंग
भांत-भांत रा
सौरमआळा फूलां में
कुण भरै सौरम
सतरंगियै नै
कुण सजावै आभै में
प्रकृति
थूं किंयां चालै
थारौ कुण है पालनहार
घणाई ऊकळै सुवाल
म्हारै काळजै में
थूं बता प्रकृति
थारी माया।