Last modified on 9 जुलाई 2017, at 17:18

सागै री आडी / मदन गोपाल लढ़ा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:18, 9 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जरूरी कोनी
जका आज आपणै सागै है
बै सदीव रैवैला।

बियां सागै दीसतां थकां ई
सागै हुवणो-रैवणो
कठै हुवै जरूरी
केई अैड़ा पण हुवै
जका दीसै तो कोनी
पण हुवै सागै सदीव।

सागै री आडी
सुळझावणी
इत्ती सोरी कठै?