भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अमल रद्दे अमल / अनवर ईरज
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:29, 16 जून 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनवर ईरज }} न्यूटंस ला न कल ग़लत था न आज है न ही कल ग़लत ...)
न्यूटंस ला
न कल ग़लत था
न आज है
न ही कल ग़लत साबित हो सकेगा
तुम ठीक कहते हो
कि हर अमल का
एक रद्दे अमल होता है
लेकिन ये भी ग़लत नहीं है
कि हर अमल का
एक जवाज़ भी होता है
दीवार पे गेंद
जितनी तेज़ी से
मारोगे
उतनी ही तेज़ी से
तुम्हारे पास लौट आएगी
तुम सच कहते हो
बिल्कुल सच कि
गुजरात
गोधरा का रद्दे अमल है
गोधरा
किसका रद्दे अमल था?