भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक तो चेहरा ऐसा हो / फ़रहत शहज़ाद
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:56, 10 अगस्त 2017 का अवतरण
एक तो चेहरा ऐसा हो
मेरे लिए जो सजता हो
शाम ढले एक दरवाज़ा
राह मेरी भी तकता हो
मेरा दुःख वो समजेगा
मेरी तरह जो तनहा हो
एक सुहाना मुस्तकबिल
ख़ाब सा जैसे देखा हो
अब 'शहज़ाद' वो दीपक है
जो तूफ़ान में जलता हो