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दृश्य / सिनान अन्तून
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समुन्दर टिकाता है अपना सर
क्षितिज के तकिए पर
और एक झपकी
लेने लगता है।
मैं सुन सकता हूँ
साँसें लेते
उसकी नीलिमा को।
जब
अपनी उँगलियों के पोरों से
सूरज
चूमता है उसकी त्वचा,
आसमान को
जलन होती है।
(बेरूत - अप्रैल 2003)
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल