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हत्या के इस समय में / शहंशाह आलम
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मालूम नहीं किधर से चाकू आया
और कैसे घुसा उसके पेट में
कोई अंधेरे झुरमुट में था छिपा
सूंघ लेता है हत्यारा मुझे भी शायद
चश्मदीद गवाह समझ कर
हत्या और मृत्यु के इस समय में
मैं चाहता हूँ खींच निकालूँ
हत्यारे को झाड़ी के पीछे से