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हम गयन याक दिन लखनउवै / रमई काका

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हम गयन याक दिन लखनउवै,
कक्कू संजोगु अइस परिगा।
 पहिलेहे पहिल हम सहरु दीख,
सो कहूँ – कहूँ ध्वाखा होइगा —

जब गएँ नुमाइस द्याखै हम,
जंह कक्कू भारी रहै भीर।
दुई तोला चारि रुपइया कै,
हम बेसहा सोने कै जंजीर।।
 
लखि भईं घरैतिन गलगल बहु,
मुल चारि दिनन मा रंग बदला।
उन कहा कि पीतरि लै आयौ,
हम कहा बड़ा ध्वाखा होइगा।।